ना है इसका मोल कोई,
ये तो है अनमोल रत्न ।
झूठ कभी ना चलेगा तुम्हारा,
सच का जब-जब खुला पिटारा।
सच ना जाने बोली भाषा,
सच से पूरी होती है अभिलाषा,
झूठ बेचारा हरदम हारा,
सच का जब-जब खुला पिटारा।
जीवन में सच का बोल बाला है,
सच ने ही सबको संभाला है।
झूठ हुआ ना कभी तुम्हारा,
सच का जब-जब खुला पिटारा।
होते हैं कई विग्न रास्तों में मगर,
सच से ही पूरी होती है मंजिलों की डगर,
आज नहीं तो कल, हारेगा झूठ बेचारा,
सच का जब-जब खुला पिटारा।
बेखोफ होकर कर सच का सामना,
तेरी ही मंजिल, तेरा ही रास्ता,
झूठ से मिला ना किसी को सहारा,
सच का जब-जब खुला पिटारा।
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